मैकुलोपैथी को समझें

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मैकुलोपैथी उन बीमारियों को कहा जाता है जो मैक्युला को प्रभावित करती हैं। मैक्युला आंख के रेटिना का वह केंद्रीय भाग होता है जो हमें साफ़ और स्पष्ट देखने में मदद करता है। कम्युनिटी आई हेल्थ जर्नल, दक्षिण एशिया संस्करण के इस अंक में डायबिटिक मैक्युलर ओडेमा (DME), उम्र से संबंधित मैक्युलर डिजनरेशन (AMD), और मायोपिक मैक्युलोपैथी जैसी स्थितियों पर केंद्रित है। ये समस्याएँ आजकल ज़्यादा देखने को मिल रही हैं, क्योंकि डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं, लोग अधिक उम्र तक जी रहे हैं, और मायोपिया (नज़दीक की दृष्टि दोष) भी आम होता जा रहा है। मैक्युलर बीमारी से पीड़ित मरीजों को अक्सर धुंधली या विकृत केंद्रीय दृष्टि का अनुभव होता है, जिससे रोजमर्रा के काम करना मुश्किल हो जाता है। एक महत्वपूर्ण लक्षण मेटामॉर्फोप्सिया है, जिसमें मरीज कहते हैं कि सीधी रेखाएँ टेढ़ी-मेढ़ी या लहरदार दिखती हैं।
नर्स और नेत्र देखभाल कर्मचारी इसकी जांच करने के लिए मरीज को किसी सीढ़ी वस्तु जैसे दरवाजे या खिड़की के फ्रेम को देखने के लिए कहें और पूछें कि क्या उन्हें कोई विकृति दिख रही है। शुरुआती मैक्युलर बदलावों का हमेशा इलाज ज़रूरी नहीं होता, लेकिन गंभीर दृष्टि हानि होने पर तुरंत रेफरल जरूरी है।सभी मैक्युलर बीमारियाँ विकृति (distortion) नहीं करतीं – जैसे एट्रोफिक AMD में यह कम ही होता है। इसलिए, अगर मरीज को यह लक्षण न दिखे, तब भी मैक्युलर बीमारी से इंकार नहीं किया जा सकता।
अच्छी खबर यह है कि कुछ मैक्युलर बीमारियाँ, खासकर वेट (Exudative) AMD और डायबिटिक मैक्युलोपैथी, इंट्राविट्रियल एंटी-VEGF इंजेक्शंस से ठीक हो सकती हैं, जो सूजन को कम करने और दृष्टि को बचाने में मदद करती हैं। ये उपचार अब कई देशों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में शामिल किए जा रहे हैं। स्वस्थ्य कर्मियों की भूमिका इसमें बहुत महत्वपूर्ण है—वे न केवल शुरुआती पहचान में मदद कर सकते हैं पर मरीजों को शिक्षित और जागरूक करने के साथ-साथ समय पर रेफरल भी सुनिश्चित कर सकते हैं, जिससे दृष्टि हानि का जोखिम कम किया जा सके। इस विषय को और विस्तार से समझने के लिए हमारा पूरा अंक पढ़ें!
मुख्य सामुदायिक नेत्र स्वास्थ्य संदेश
1. मैक्युलर स्वास्थ्य के बारे में जानिए
• मैक्युला रेटिना का केंद्रीय भाग होता है, जो स्पष्ट दृष्टि, पढ़ने और चेहरे पहचानने में मदद करता है। मैक्युला को नुकसान पहुंचने से गंभीर दृष्टि समस्याएँ हो सकती हैं।
• डायबिटिक मैक्युलर ओडेमा (DMO), उम्र से संबंधित मैक्युलर डिजनरेशन (AMD), और मायोपिक मैक्युलोपैथी जैसी बीमारियाँ दुनियाभर में बढ़ती उम्र, डायबिटीज और हाई मायोपिया के कारण बढ़ रही हैं।
• जल्दी पहचान करना बेहद ज़रूरी है। खासतौर पर डायबिटीज से पीड़ित लोगों और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को नियमित रूप से नेत्र परीक्षण कराना चाहिए।
2. मैक्युलर बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन
• डायबिटीज से मैक्युला को नुकसान हो सकता है। डायबिटीज वाले लोगों को ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखना चाहिए ताकि डायबिटिक मैक्युलर ओडेमा से बचा जा सके।
• जीवनशैली का प्रभाव: धूम्रपान, अस्वस्थ आहार और मोटापा मैक्युलर बीमारियों के जोखिम को बढ़ाते हैं।
• मायोपिया से मैक्युलर नुकसान हो सकता है। हाई मायोपिया वाले लोगों को नियमित नेत्र परीक्षण करवाना चाहिए ताकि मायोपिक मैक्युलोपैथी और इससे जुड़ी जटिलताओं की निगरानी की जा सके।
3. मैक्युलर रोगियों की सहायता
• लक्षणों की पहचान करें: यदि किसी को धुंधली या विकृत केंद्रीय दृष्टि, पढ़ने में कठिनाई, चेहरे पहचानने में दिक्कत, या अंधेरे/खाली धब्बे दिखते हैं, तो यह मैक्युलर बीमारी का संकेत हो सकता है।
• एंटी-VEGF उपचार दृष्टि हानि रोक सकता है। AMD और DMO के लिए एंटी-VEGF इंजेक्शंस प्रभावी होते हैं। मरीजों को जल्द से जल्द विशेषज्ञ के पास भेजें।
• लो विज़न सहायता ज़रूरी है। मैक्युलर रोगों के मरीज पूरी तरह अंधे नहीं होते, लेकिन उन्हें कम दृष्टि सहायक उपकरण, पुनर्वास और सहायता की ज़रूरत होती है ताकि वे स्वतंत्र रूप से अपना जीवन जी सकें।
• सामुदायिक जागरूकता आवश्यक है। स्क्रीनिंग शिविर, स्वास्थ्य वार्ताएँ और जागरूकता अभियान आयोजित करें ताकि लोग मैक्युलर स्वास्थ्य और शुरुआती पहचान के बारे में जानें।