अपवर्तक त्रुटि
Related content
अपवर्तक त्रुटियाँ (रिफ्रैक्टिव एरर्स) एक प्रकार की दृष्टि की समस्या हैं जो स्पष्ट रूप से देखने में कठिनाई पैदा करती हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमे आँखें ठीक से फोकस नहीं कर पाती हैं, जिससे धुंधला या विकृत दिखता है।
वैश्विक स्तर पर असंशोधित अपवर्तक त्रुटियाँ दृष्टिहीनता का मुख्य कारण हैं। इसका मतलब है कि लाखों लोग इस समस्या से पीड़ित हैं क्योंकि उन्हें नेत्र सेवाओं और चश्मे की सुविधा नहीं मिल पाती है। इसके कारण उनकी शिक्षा और नौकरी के अवसर छिन जाते हैं, उनकी उत्पादकता कम हो जाती है और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। अपवर्तक त्रुटियों की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए और सभी व्यक्तियों के लिए नेत्र देखभाल सेवाओं की समान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, समुदाय-आधारित योजनाओं की जरूरत है। यह अनुमान है कि 2050 तक आधी दुनिया की आबादी मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) से प्रभावित होगी, जिससे दृष्टि हानि का जोखिम बढ़ेगा। मायोपिया और उससे जुड़ी समस्याओं के लिए निवारक और उपचार उपायों पर ध्यान देना आवश्यक है। इसके अलावा, जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है और लोग लंबे समय तक जीवित रह रहे हैं, प्रेसबायोपिया (बुढ़ापे में निकट दृष्टि की कमी) के लिए चश्मे की आवश्यकता वाले लोगों की संख्या भी बढ़ेगी।
सामुदायिक नेत्र स्वास्थ्य जर्नल ने नेत्र देखभाल समुदाय के ज्ञान को और बढ़ाने और दुनिया भर में अनुमानित 1 अरब लोग जिन्हें दृष्टि की समस्या चश्मे के अभाव के कारण है, ऐसे लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपवर्तक त्रुटियों पर एक विशेष अंक प्रकाशित किया है। इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता है, यही कारण है कि 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने प्रभावी अपवर्तक त्रुटि कवरेज (ईआरईसी) को 40 प्रतिशत अंक तक बढ़ाने के वैश्विक लक्ष्य का समर्थन किया है। इस अंक में, आप अपवर्तक त्रुटियों की वैश्विक समस्या, देशों द्वारा विकसित किये जाने वाले इस समस्या का समाधान और 40 प्रतिशत बिंदु लक्ष्य को पूरा करने में मदद करने के लिए WHO की स्पेक्स 2030 पहल के बारे में लेख पा सकते हैं। इसके अलावा, पाठक हाइपरोपिया (दूर दृष्टि दोष), मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) और प्रेसबायोपिया (बुढ़ापे में निकट दृष्टि की कमी) सहित विभिन्न अपवर्तक स्थितियों के प्रबंधन पर विशिष्ट मार्गदर्शन भी पा सकते हैं।
साक्ष्य-आधारित अनुशंसाओं (एविडेंस बेस्ड रिकमेंडेशन) और व्यावहारिक अंतर्दृष्टि (प्रैक्टिकल इनसाइट्स) के माध्यम से, इन लेखों का उद्देश्य नेत्र स्वास्थ्य चिकित्सकों, प्रबंधकों, और नीति निर्माताओं को उनकी संबंधित सेटिंग्स में अपवर्तक त्रुटियों के उपचार के लिए आवश्यक ज्ञान और कुशलता प्रदान करना है।
यह अंक समुदाय में व्यापक अपवर्तक त्रुटि मे देखभाल प्रदान करने के लिए व्यावहारिक कौशल (प्रैक्टिकल स्किल्स) पर मूल्यवान मार्गदर्शन भी प्रदान करता है। इसमें स्कूली बच्चों में साइक्लोप्लेजिक अपवर्तन (रिफ्रैक्शन) के मार्गदर्शन से लेकर चश्मे के सही नम्बर का निर्धारण और फिटिंग को सुनिश्चित करने तक के कौशल शामिल हैं। ये कौशल गुणवत्तापूर्ण नेत्र स्वास्थ्य परिणामों को बढ़ावा देने और समर्थन करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
अपवर्तक त्रुटियाँ (रिफ्रैक्टिव एरर्स) क्या हैं?
अपवर्तक त्रुटियाँ (रिफ्रैक्टिव एरर्स) एक प्रकार की दृष्टि समस्या है जिससे स्पष्ट देखना कठिन हो जाता है। यह इस वजह से होता है क्योंकि आँख की आकृति सही तरीके से प्रकाश को आंतरिक रेटिना पर फोकस करने में बाधित करती है। ये सबसे सामान्य प्रकार की दृष्टि समस्याएँ हैं और ये किसी भी आयु में हो सकता है, लेकिन अधिकतर बचपन या किशोरावस्था में प्रकट होते हैं। सरल शब्दों में, यह एक स्थिति है जिसमें आँखें सही ढंग से फोकस नहीं कर पाती, जिससे धुंधला या विकृत दिखाई देता है।
रिफ्रैक्टिव एरर्स के प्रकार:
• मायोपिया (नजदीकी दृष्टि दोष): दूर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाना।
• हाइपरोपिया (दूरदृष्टि दोष): पास स्थित वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाना।
• एस्टिगमेटिज़म: सभी दूरियों पर धुंधला या विकृत दिखना।
• प्रेसबायोपिया: उम्र के साथ करीबी वस्तुओं पर फोकस करने में कठिनाई।
कारण और जोखिम कारक:
• आनुवंशिक: रिफ्रैक्टिव एरर्स का परिवारिक इतिहास।
• पर्यावरणीय कारक: लंबे समय तक स्क्रीन का उपयोग और अपर्याप्त प्रकाशन।
• आयु संबंधी परिवर्तन: प्रेसबियोपिया आमतौर पर बढ़ती आयु के साथ विकसित होता है।
लक्षण और संकेत:
• विभिन्न दूरियों पर धुंधला दृश्य।
• आँखों में थकान और सिरदर्द, विशेषकर लंबी कार्यक्षमता के बाद।
• रात्रि में (मायोपिया) या करीब से (हाइपरोपिया) स्पष्ट देखने मे कठिनाई ।
निदान और मूल्यांकन:
• दृष्टि स्क्रीनिंग और रिफ्रैक्शन टेस्ट।
• समय-समय पर नियमित आँख की जाँच का महत्व।
उपचार विकल्प:
• चश्मे: स्पष्ट दृश्य के लिए सहायक लेंसेस।
• संपर्क (कॉन्टैक्ट) लेंस: विभिन्न प्रकार जीवनशैली के लिए।
• रिफ्रैक्टिव सर्जरी: LASIK या PRK जैसे विकल्पों के लिए परामर्श।
रोगी शिक्षा:
• निर्धारित उपचार के अनुपालन के लिए प्रोत्साहित करें।
• आँखों की सुरक्षा के अभ्यास और नियमित देखभाल की सलाह दें।
नेत्र चिकित्सक के पास कब भेजे?
• उपचार के बावजूद लगातार लक्षणों का होना।
• रिफ्रैक्टिव एरर्स से अलावा आँख स्वास्थ्य से संबंधित चिंताएं।
रोगी के लिए संसाधन:
वेबसाइटें: www.cehjsouthasia.org, www.sightsaversindia.org